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आज की इस पोस्ट में हम आपको D FHARMA परीक्षा मे पूछें जाने वाले विषयों के महत्वपूर्ण टॉपिक की पूरी जानकारी देंगे अगर आपको किसी भी अन्य टॉपिक नोट्स या कोई भी स्टडी मे समस्या हो रही हो या Admission संबंधित जानकारी या कोई अन्य जानकारी चाहिये तो आप हमे Comment के माध्यम से जरुर बताएं या BE Educare एक्सपर्ट्स से  9569174559 पर Whats App करके 10 मिनट का फ्री सेशन बुक करें| अपनी तैयारी या Knowledge और बेहतर बनाने के लिए आप हमारी बेबसाइट को रेगुलर बिजिट करते रहिये |

“D Pharma” (डी फार्मा) कोर्स का सिलेबस विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में थोड़ा भिन्न हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इसमें निम्नलिखित विषय शामिल होते हैं:

  1. फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री:
    • अविभाज्य रसायन
    • सार्जेनिक रसायन
    • औषधि रसायन
  2. फार्मास्यूटिक्स:
    • फार्मास्यूटिक्स I (फार्मेसी का परिचय)
    • फार्मास्यूटिक्स II (इकाइयाँ कार्य)
    • डोसेज फॉर्म डिज़ाइन
    • फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी
  3. फार्माकोलॉजी:
    • सामान्य फार्माकोलॉजी
    • फार्माकोकिनेटिक्स
    • फार्माकोडायनामिक्स
  4. फार्माकोग्नोसी:
    • प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त दवाएँ (पौधों, जन्तुओं, खनिजों)
    • फार्माकोग्नोसी
  5. बायोकेमिस्ट्री:
    • बायोमोलेक्यूल्स
    • एंजाइम्स
  6. हॉस्पिटल और क्लिनिकल फार्मेसी:
    • क्लिनिकल पैथोलॉजी
    • थेरेप्टिक्स
  7. एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, और स्वास्थ्य शिक्षा:
    • मानव एनाटॉमी
    • फिजियोलॉजी
    • स्वास्थ्य शिक्षा और पोषण
  8. फार्मास्यूटिकल मैथमेटिक्स और बायोस्टैटिस्टिक्स:
    • फार्मेसी के संबंध में गणित का बुनियादी ज्ञान
    • बायोस्टैटिस्टिक्स
  9. फार्मास्यूटिकल माइक्रोबायोलॉजी:
    • माइक्रोऑर्गेनिज्म
    • स्टेरिलाइजेशन और डिसिन्फेक्शन
  10. फार्मास्यूटिकल जुरिसप्रूडेंस:
    • फार्मेसी अधिनियम और विधि का परिचय

ध्यान दें कि यह केवल एक सामान्य अवलोकन है और स्थानीय या निर्देशांकित विश्वविद्यालयों और संस्थानों में सिलेबस भिन्न हो सकता है।

फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री

“फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री” एक महत्वपूर्ण शाखा है जो दवाओं और उनके निर्माण से संबंधित है। यह शाखा छास और औषधीय रसायनिक पदार्थों का अध्ययन करती है जो विभिन्न चिकित्सा स्थितियों के इलाज में उपयोग होते हैं। यहां कुछ मुख्य विषय और विषय क्षेत्रों का विवरण है:

  1. अविभाज्य रसायन:
    • रसायनिक संरचना और गुणधर्म
    • अविभाज्य रसायन की प्रक्रिया
  2. सार्जेनिक रसायन:
    • जीवों के साथ रसायनिक प्रतिक्रियाएं
    • औषधीय रसायनों की सिंथेसिस
  3. औषधि रसायन:
    • औषधीय रसायन की पहचान और विश्लेषण
    • औषधीय रसायनों के संरचना-संबंधी बदलाव
  4. फार्माकोलॉजी रसायन:
    • औषधियों के प्रभाव और उनका मेकेनिज्म
    • रसायनिक दृष्टिकोण से दवाओं का अध्ययन
  5. रसायनिक विश्लेषण और यांत्रिकी:
    • रसायनिक पदार्थों की विश्लेषण तकनीकें
    • दवाओं के निर्माण में यांत्रिकी का अध्ययन
  6. फार्मास्यूटिकल अनुसंधान:
    • नई औषधियों के विकास का अध्ययन
    • फार्मास्यूटिकल अनुसंधान की तकनीकें
  7. रसायनिक बायोलॉजी:
    • बायोलॉजिकल प्रक्रियाएं और रसायन
    • रसायनिक दृष्टिकोण से जीवों के प्रति औषधियों का प्रभाव
  8. रसायनिक तथ्यांकन:
    • रसायनिक तथ्यों का विश्लेषण
    • सॉफ्टवेयर का उपयोग रसायनिक तथ्यांकन में

यह सिलेबस केवल एक आम अवलोकन है और स्थानीय या निर्देशांकित विश्वविद्यालयों और संस्थानों में इसमें थोड़ा भिन्नाभिन्न हो सकता है।

फार्मास्यूटिक्स

फार्मास्यूटिक्स” एक शाखा है जो औषधियों की तैयारी, उत्पादन, और उनका उपयोग समर्थित करने के लिए औषधियों के रूप, संरचना, और गुणधर्मों का अध्ययन करती है। फार्मास्यूटिक्स का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित और प्रभावी दवाओं का निर्माण करना है जो रोगों के इलाज में उपयोग किए जाते हैं। यहां कुछ मुख्य विषय और विषय क्षेत्रों का विवरण है:

  1. फार्मास्यूटिक्स I (फार्मेसी का परिचय):
    • औषधीय सामग्री का चयन
    • औषधीय रसायन की मुख्य बातें
  2. फार्मास्यूटिक्स II (इकाइयाँ कार्य):
    • औषधीय रसायन की इकाइयों का अध्ययन
    • औषधीय रसायन की विभिन्न प्रक्रियाएं
  3. डोसेज फॉर्म डिज़ाइन:
    • विभिन्न रूपों के औषधियों का डिज़ाइन
    • औषधियों के सही रूप का चयन
  4. फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी:
    • दवा निर्माण की तकनीकें
    • औषधीय उत्पादों की तकनीकी बदलाव
  5. क्वैलिटी आश्वासन:
    • औषधीय उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण
    • गुणवत्ता निरीक्षण तकनीकें
  6. बायोफार्मास्यूटिक्स:
    • जीवाणु, जैवय उत्पादों और औषधियों का अध्ययन
    • जीवाणु और जैवय उत्पादों का उपयोग
  7. नवाचारी फार्मास्यूटिक्स:
    • नई दवाओं और औषधियों की रसायन
    • औषधीय संबंधी नवाचार
  8. क्लिनिकल फार्मास्यूटिक्स:
    • औषधियों के उपयोग का अध्ययन रोगों के इलाज में
    • चिकित्सा दवाओं की रसायन

यहां दिए गए विषयों में से कुछ हो सकते हैं और आगे भी इस क्षेत्र में नवाचार और विकास हो सकता है। फार्मास्यूटिक्स में विद्यार्थी दवाओं के निर्माण से लेकर उनकी गुणवत्ता की निगरानी रखने तक कई पहलुओं का अध्ययन करते हैं।

फार्माकोलॉजी

फार्माकोलॉजी” एक ब्रांच है जो दवाओं के प्रभाव और उनके उपयोग की अध्ययन करती है। यह शाखा दवाओं के उपयोग के प्रभाव, उनके संरचना-संबंधी बदलाव, और मानव शरीर में उनके प्रभाव को समझने का कार्य करती है। इसमें शामिल होने वाले मुख्य विषय और विषय क्षेत्रों में से कुछ निम्नलिखित हैं:

  1. सामान्य फार्माकोलॉजी:
    • दवाओं के मानव शरीर में प्रवेश का अध्ययन
    • दवाओं के प्रभाव के मैकानिज्म की समझ
  2. क्लिनिकल फार्माकोलॉजी:
    • विभिन्न रोगों के इलाज में दवाओं का उपयोग
    • व्यक्तिगत रोगी के लिए सही औषधि का चयन
  3. फार्माकोकिनेटिक्स:
    • दवाओं के शरीर में कैसे और कहां बाँटे जाते हैं
    • दवाओं की गतिशीलता और उनका प्रभावांतर
  4. फार्माकोदायनामिक्स:
    • दवा का मानव शरीर में कैसे कार्य करता है
    • दवाओं के प्रभाव में समय-स्थायिति
  5. फार्माकोजेनेटिक्स:
    • व्यक्तिगत रोगी के लिए औषधियों के सही खुराक का अध्ययन
    • खुराक की व्यक्तिगत आवश्यकताओं का मूल्यांकन
  6. फार्माकोजेनॉमिक्स:
    • व्यक्तिगत रोगी के लिए विशेषज्ञ दवाओं का विकास
    • औषधियों के व्यक्तिगतीकरण की तकनीकें
  7. सांग्रासी फार्माकोलॉजी:
    • दवाओं के साथ खाद्य, अन्य दवाओं, और उत्पादों के संयोजन का अध्ययन
    • सांग्रासी दवाओं के प्रभाव
  8. फार्माकोजेनेटिक और फार्माकोडायनेटिक संबंध:
    • औषधियों के प्रभाव में व्यक्तिगत भिन्नता
    • जीनेटिक संबंध और दवाओं के प्रति प्रतिसाद

फार्माकोग्नोसी” एक औषधीय पौधों, जंतुओं, और खनिजों से दवाओं का अध्ययन करने वाली जीवविज्ञानिक शाखा है। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त औषधीय सामग्रीयों की पहचान और विश्लेषण करना है, ताकि वे दवाओं में उपयोग किए जा सकें। फार्माकोग्नोसी के अंतर्गत विभिन्न प्रणालियों और तकनीकों का अध्ययन होता है जो इस सामग्री की पहचान में मदद करते हैं।

फार्माकोग्नोसी

यहां कुछ मुख्य विषयों और क्षेत्रों का विवरण है जो फार्माकोग्नोसी में शामिल हो सकते हैं:

  1. बोटनी (वनस्पति विज्ञान):
    • औषधीय पौधों की पहचान और अध्ययन
    • औषधीय पौधों के अंगों, बीजों, और अन्य भागों का विवेचन
  2. जैव-विविधता और संरक्षण:
    • विभिन्न प्राकृतिक स्रोतों से ली जाने वाली औषधीय सामग्रियों के संरक्षण के लिए उपाय
    • वन्यजीव संरक्षण और औषधीय पौधों के संबंध में जानकारी
  3. मैक्रोस्कोपी और माइक्रोस्कोपी:
    • औषधीय पौधों के संरचना का विवरण
    • सामान्य औषधीय पौधों के रोग और विकृतियों का अध्ययन
  4. औषधीय सामग्रियों की खोज और पहचान:
    • औषधीय सामग्रियों की खोज के लिए विभिन्न पुरानी और नई तकनीकें
    • प्राकृतिक स्रोतों से नई औषधीय सामग्रियों की पहचान
  5. फार्माकोग्नोसी में तकनीकी उपकरण:
    • औषधीय सामग्रियों के लिए विशेष तकनीकी उपकरण का उपयोग
    • तकनीकी उपकरणों की सही तकनीकी जानकारी

फार्माकोग्नोसी का अध्ययन दवाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह विभिन्न जैव-स्रोतों से लाभकारी औषधियों की पहचान में मदद करता है।

बायोकेमिस्ट्री

बायोकेमिस्ट्री” एक जीवविज्ञानिक शाखा है जो जीवों के जीवन के रसायनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करती है, जो स्त्रोत, बदल, और उपयोग की जानेवाली रसायनिक संरचनाओं से संबंधित होती हैं। बायोकेमिस्ट्री में जीवों के जीवन के स्तर पर रसायनिक प्रक्रियाएं, जैसे कि जीवाणु संरचना, खाद्य स्रोतों से पोषण, ऊर्जा उत्पादन, और ऊर्जा उपयोग, का अध्ययन किया जाता है।

बायोकेमिस्ट्री के कुछ मुख्य विषय और क्षेत्रों में शामिल हो सकते हैं:

  1. बायोमोलेक्यूल्स:
    • प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड, लिपिड्स, और कार्बोहाइड्रेट्स जैसे बायोमोलेक्यूल्स का अध्ययन
    • इन बायोमोलेक्यूल्स के रसायनिक संरचना और कार्य का विश्लेषण
  2. एंजाइम्स:
    • एंजाइमोलॉजी, जो जीवों में रसायनिक प्रक्रियाओं को मंचित करने में मदद करने वाले एंजाइमों का अध्ययन
    • एंजाइमों के कार्य में उनके सबसे विशेष और सामान्य दृष्टिकोण
  3. सिग्नल ट्रांसडक्शन:
    • जीवों में सिग्नल ट्रांसडक्शन पथों का अध्ययन
    • साइनलिंग पथों की स्थिति और विशेषता
  4. मेटाबोलिज्म:
    • आत्म-संरचना और ऊर्जा उत्पादन में जीवों के मेटाबोलिक पथों का अध्ययन
    • खाद्य स्रोतों से न्यूक्लीय एसिड और प्रोटीन की उत्पत्ति
  5. इम्यूनोबायोकेमिस्ट्री:
    • इम्यून सिस्टम के रसायनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन
    • रोग और रोगप्रतिरोध में बायोकेमिस्ट्री का योगदान

बायोकेमिस्ट्री का अध्ययन हमें समझाता है कि कैसे रसायनिक प्रक्रियाएं और बायोमोलेक्यूल्स जीवों के स्तर पर जीवन को संचालित करते हैं और इससे हमें विभिन्न विज्ञानिक और चिकित्सा अध्ययनों के लिए आधार मिलता है।

हॉस्पिटल और क्लिनिकल फार्मेसी

  1. हॉस्पिटल फार्मेसी:
    • रोगी सेवा: हॉस्पिटल फार्मेसिस्ट्स का मुख्य कार्य रोगियों की सेवा करना है। वे डॉक्टर्स और अन्य स्वास्थ्य प्रदाताओं के साथ मिलकर रोगियों के लिए सही औषधियों का चयन करते हैं।
    • औषधियों की व्यवस्था: हॉस्पिटल फार्मेसिस्ट्स औषधियों की सही मात्रा और सही समय पर पहुंचाने की जिम्मेदारी लेते हैं।
    • रोगी सिकायतों का समाधान: वे रोगियों की सिकायतों का समाधान करने में सहायक होते हैं और उन्हें औषधियों के उपयोग के बारे में समझाते हैं।
    • स्वास्थ्य सलाहकार: वे स्वास्थ्य सलाहकार भी होते हैं और रोगियों को औषधियों के प्रचार-प्रसार के बारे में सीधे और स्पष्ट रूप से सूचित करते हैं।
  2. क्लिनिकल फार्मेसी:
    • रोगी सेवा: क्लिनिकल फार्मेसिस्ट्स भी रोगियों की सेवा करते हैं, लेकिन वे आमतौर पर अस्पतालों की बजाय अन्य स्वास्थ्य सेवा संरचनाओं में काम करते हैं।
    • रचनात्मक समस्याओं का समाधान: क्लिनिकल फार्मेसिस्ट्स डॉक्टर्स के साथ मिलकर रचनात्मक समस्याओं का समाधान करने में मदद करते हैं, जैसे कि औषधीय पैथलॉजी और दवाओं की असुरक्षा का प्रबंधन।
    • रोगियों की चेतावनी और शिक्षा: वे रोगियों को उनकी स्वास्थ्य स्थिति और औषधीय उपय

एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, और स्वास्थ्य शिक्षा:

  1. एनाटॉमी (Anatomy):
    • मानव शरीर का संरचना: एनाटॉमी मानव शरीर के सभी अंगों, ऊतकों, और तंतुओं के संरचना का अध्ययन करती है।
    • अंगों का वर्गीकरण: शरीर के विभिन्न अंगों को उनके कार्यों और संरचनाओं के आधार पर वर्गीकृत करना।
  2. फिजियोलॉजी (Physiology):
    • जीवन क्रियाएं और उनका मैकेनिज्म: फिजियोलॉजी शरीर की विभिन्न क्रियाओं, जैसे कि ऊर्जा उत्पादन, ऊर्जा उपयोग, ह्रदय की धड़कन, श्वसन, और पाचन, के मैकेनिज्म का अध्ययन करती है।
    • अंगों और ऊतकों की कार्यप्रणाली: अंगों, ऊतकों, और संघटन को विभिन्न परिस्थितियों में कैसे कार्य करते हैं, उसका अध्ययन करती है।
  3. स्वास्थ्य शिक्षा (Health Education):
    • रोग प्रतिरोध की शिक्षा: स्वास्थ्य शिक्षा मानव जीवन में स्वस्थ और जीवन्त रहने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है।
    • आहार और व्यायाम के महत्व: स्वास्थ्य शिक्षा आहार और व्यायाम के महत्व को समझाती है और लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रेरित करती है।
    • बीमारियों की पूर्वनिर्णय: स्वास्थ्य शिक्षा लोगों को बीमारियों के जोखिमों, उनके कारणों, और उनकी पूर्वनिर्णय में सहायक होती है।

एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, और स्वास्थ्य शिक्षा से संबंधित विभिन्न विषय और क्षेत्र हैं, जो मानव शरीर के संरचना और क्रियाओं के बारे में गहरा ज्ञान प्रदान करते हैं। इसके माध्यम से हम स्वस्थ जीवनशैली के महत्व को समझ सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकते हैं।

फार्मास्यूटिकल मैथमेटिक्स (Pharmaceutical Mathematics)

  1. डोसेज कैलकुलेशन (Dosage Calculations): दवाओं की सही और सुरक्षित खुराकों की गणना, डोसेज कैलकुलेशन का मैथमेटिकल अंश है। इसमें रूपरेखाएँ, प्रतिशत, और अन्य गणना तकनीकें शामिल होती हैं।
  2. शरीर सत्र (Body Surface Area): दवाओं की खुराकों को शरीर सत्र के हिसाब से निर्धारित करने के लिए मैथमेटिकल तकनीकों का अध्ययन होता है।
  3. इंफ्यूजन रेट (Infusion Rates): चिकित्सा तकनीकों में इंफ्यूजन (ड्रिप) रेट की गणना, जिससे दवा सही मात्रा में प्रदान की जा सकती है।
  4. स्टॉक और डिल्यूशन (Stock and Dilution): औषधियों की स्टॉक और डिल्यूशन से संबंधित मैथमेटिकल तकनीकों का अध्ययन।

बायोस्टैटिस्टिक्स (Biostatistics):

  1. नमूना संग्रहण (Sampling): बायोस्टैटिस्टिक्स में, सही और प्र represent नमूना चयन के लिए गणना करने के लिए तकनीकों का अध्ययन होता है।
  2. चरण-बंदी (Hypothesis Testing): विभिन्न अनुसंधान प्रश्नों का उत्तर निकालने के लिए सांख्यिकीय हावभावों की गणना और विश्लेषण करने की तकनीकों का अध्ययन।
  3. अभ्यंतरीय प्रमाण (Internal Validity): अनुसंधान में विभिन्न प्रभावों के बीच अंतर्निहित संबंधों की जांच के लिए सांख्यिकीय तकनीकों का अध्ययन।
  4. परिशीलन (Regression): एक चरण से दूसरे चरण की ओर प्रवृत्ति का अध्ययन करने वाले तकनीकों का अध्ययन, जो एक परिशीलन मॉडल का निर्माण कर सकता है।
  5. स्थिति सांख्यिकी (Posology): अनुसंधान में प्रभावित स्थितियों के बीच संबंधों की जांच के लिए सांख्यिकीय तकनीकों का अध्ययन।

फार्मास्यूटिकल माइक्रोबायोलॉजी (Pharmaceutical Microbiology)

फार्मास्यूटिकल माइक्रोबायोलॉजी एक शाखा है जो दवाओं और औषधियों के निर्माण, रक्षण, और वितरण में जीवाणुओं और अन्य सूक्ष्मजीवों के अध्ययन पर केंद्रित है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं:

  1. बैक्टीरिया और वायरसोलॉजी: फार्मास्यूटिकल माइक्रोबायोलॉजी में, दवाओं के निर्माण में शामिल बैक्टीरिया और वायरसोलॉजी का अध्ययन किया जाता है। इसमें दवाओं के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोऑर्गेनिज्मों की पहचान, चयन, और तकनीकी तथा उनके साथ संबंधित सुरक्षा के लिए अनुसंधान किया जाता है।
  2. ऑन्टीमाइक्रोबिअल एजेंट्स: दवाओं में अविष्कृत और सूचीबद्ध ऑन्टीमाइक्रोबिअल एजेंट्स (जैसे कि एंटीबायोटिक्स) के अध्ययन और इनके उपयोग की सुरक्षा के लिए परीक्षण।
  3. स्टेरिलिटी और अस्पतालीय प्रदर्शन: फार्मास्यूटिकल उत्पादों की स्टेरिलिटी का निरीक्षण और उनके अस्पतालीय प्रदर्शन के लिए स्वच्छता और स्टेरिलिटी स्तर को बनाए रखने के लिए तकनीकी तथा आपातकालीन प्रबंधन।
  4. ऑन्टीमाइक्रोबिअल सूचीबद्धता: दवाओं और औषधियों की ऑन्टीमाइक्रोबिअल सूचीबद्धता और उनकी तैयारी में उपयोग की जाने वाली तकनीकों का अध्ययन।
  5. माइक्रोबिअल बायोटेक्नोलॉजी: माइक्रोबिअल बायोटेक्नोलॉजी का अध्ययन, जो माइक्रोबियल प्रदार्शन, बायोप्रोसेसिंग, और बायोरिमेडिएशन में उपयोग होने वाले तकनीकों का शामिल है।

फार्मास्यूटिकल माइक्रोबायोलॉजी दवा उत्पादों की सुरक्षा और गुणस्तर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और इससे विभिन्न उत्पादों की गुणवत्ता, स्टेरिलिटी, और स्वच्छता सुनिश्चित की जाती है।

फार्मास्यूटिकल जुरिसप्रूडेंस (Pharmaceutical Jurisprudence)

फार्मास्यूटिकल जुरिसप्रूडेंस एक शाखा है जो विभिन्न औषधियों और औषधीय उत्पादों के निर्माण, परीक्षण, और प्रबंधन के संबंध में कानूनी मुद्दों का अध्ययन करती है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में कानूनी प्रक्रियाओं और विधियों की समझ शामिल है:

  1. औषधीय और कोस्मेटिक कानून: फार्मास्यूटिकल जुरिसप्रूडेंस में, औषधीय और कोस्मेटिक उत्पादों के निर्माण, परीक्षण, पैकेजिंग, और विपणी के संबंध में कानूनी प्रावधानों का अध्ययन होता है।
  2. ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट (Drugs and Cosmetics Act): भारत में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की समझ और इसके अनुसार औषधीय उत्पादों के लिए प्रतिबंध, निर्माण और प्रबंधन के नियमों का अध्ययन।
  3. पेटेंट और कॉपीराइट कानून: औषधीय उत्पादों के पेटेंट, नए औषधीय उत्पादों के लिए प्रतिबंध, और कॉपीराइट कानून का अध्ययन करता है जो नई औषधीय उत्पादों के निर्माण और प्रबंधन से संबंधित है।
  4. औषधीय अनुसंधान एवं विकास: कानूनी दृष्टि से औषधीय अनुसंधान एवं विकास की प्रक्रिया और इसके संबंधित कानूनी प्रावधानों का अध्ययन।
  5. नैशनल फार्मासी काउंसिल (Pharmacy Council of India): भारत में फार्मासी के क्षेत्र में रूचि प्रदान करने वाले कानूनी प्रावधानों और नैशनल फार्मासी काउंसिल की भूमिका का अध्ययन।
  6. औषधीय श्रमिक सुरक्षा: औषधीय उत्पादों के निर्माण में शामिल श्रमिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों का संरक्षण करने वाले कानूनी प्रावधानों का अध्ययन।

फार्मास्यूटिकल जुरिसप्रूडेंस का अध्ययन फार्मास्यूटिकल सेक्टर में कानूनी मुद्दों के समाधान और औषधीय उत्पादों के सुरक्षा तथा संबंधित कानूनी प्रावधानों के साथ अच्छी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।

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